सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

उमीदा के समर्थन में


Umida, We are with you.
उमीदा हम तुम्हारे साथ हैं।

पहले आप यह तस्वीरें देख लें।












क्या इन तस्वीरों में आपको ऐसा कुछ भी दिखाई देता है जिससे इस बात का एहसास होता हो कि फोटोग्राफर ने इन तस्वीरों के जरिये आपने देश का अपमान किया है। मगर उज्बेकिस्तान का प्रशासन यही मानता है। इसलिए
वहां की जानी-मानी फोटोग्राफर उमीदा अख्मेदोवा के खिलाफ देश का अपमान करने के जुर्म में मुकदमा दायरकर दिया है। दुनिया भर में इसकी खिलाफत हो रही है।

इस बात की जानकारी मुझे स्कॉट्लैंड से मेरे वरिष्ठ मित्र
कीथ ने -मेल के मार्फ़त दी. अगर आपको लगता है कि उमीदा के साथ यह सरासर अन्याय हो रहा है तो उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति जनाब इस्लाम करीमोव के नाम इस पेटीशन पर हस्ताक्षर करके आप भी मेरी तरह अपना विरोध दर्ज कर सकते हैं.

सोमवार, 8 दिसंबर 2008

ई-मेल आई है


हर सप्ताह मुझे देश विदेश से अपने मित्रों के कई ई मेल मिलती रहती हैं। सभी की अपनी -अपनी अहमिअत है। मगर कुछ ई- मेल ऐसी होती हैं जो महज सूचनार्थ या बस यों ही नहीं होती बल्कि उनका कुछ मकसद होता है, कुछ तो दिल को छू सी जातीं हैं। कुछ भिखारियों की तरह आ जाती हैं , कुछ बिन बुलाये मेहमान की तरह और कुछ तो बस दिल मैं घर सी कर जातीं हैं। जिन्हें सहेज कर मित्रों से परिचित करवाने को जी चाहता है। ऐसी ही कुछ ई-मेल हैं यहाँ ।












रशेल कोरी को बेन हीन की श्रद्धांजलि

स्विट्जरलैंड निवासी मेरे युवा मित्र बेन हीन, जो बहुत ही अच्छे कार्टूनिस्ट और कैरिकेच्रिस्ट हैं वैसे तो वे बेल्जियन हाई स्कूल में शिक्षक हैं और वहाँ बच्चों को फ्रेंच , इंग्लिश , डच के अलावा इतिहास भी पढाते हैं पर इसके साथ- साथ, भारत के अधिकांश शिक्षकों के विपरीत, एक बडे ही उर्जावान, जागरूक और ओजस्वी इंसान हैं और समाज में होती हुए हर अन्याय के खिलाफ अपने रेखाचित्र,पेंटिंग्स, कार्टून्स या फोटो आदि के माध्यम से बेहिचक आवाज़ उठाते हैं,बेल्जियम ही नहीं बल्कि यूरोप के तमाम बडे अख़बार और पत्रिकाओं से जुड़े हुए हैं और दुनिया भर में मशहूर भी हैं और बदनाम भी मशहूर इसलिए हैं कि सभी इंसाफपसंद लोग उन्हें चाहते हैं और बदनाम इसलिए हैं कि THE ECONOMIST जैसे अख़बार उनके सृजन को अमेरिका विरोधी मानते हैं कि अमेरिका कि नीतियों के विरूद्ध २००६ में हुए तेहरान विध्वंस कार्टून कांटेस्ट में लगी बेन की कृतियों ने तो तहलका ही मचा दिया था जब उसने अपनी पेंटिंग्स में इस्राइली स्टार्स ऑफ़ डेविड को हिटलरी स्वस्तिक में बदलते हुए या फ़िर स्टेचू आफ लिबर्टी को नाजी अंदाज़ में सैल्यूट करते हुए प्रर्दशित किया। बहुत से वेब साइट्स ने तो उन्हें अछूत घोषित कर दिया था।

बेन से मेरी लगभग हर विषय पर बातचीत होती रहती है और उसे कभी भी किसी तरह की जानकारी की जरूरत हो तो मुझे बेहिचक सम्पर्क कर लेता है. पिछले दिनों बेन की एक -मेल मिली जिसमे २३ साल की एक युवती रशेल कोरी के बारे में बताया

रशेल का पूरा नाम
रशेल एलिअने कोरी (अप्रैल 10, 1979 – मार्च 16, 2003) था। 23 साल अमेरिका निवासी की रशेल 'इंटरनेशन सोलिडरिटी मूवमेंट' (ISM) की सदस्य थी 16 मार्च 2003 के दिन वह भी अन्य सैंकडों लोगों के साथ इजराएल डिफेंस फोर्सेस द्वारा गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों के घर गिराए जाने का विरोध कर रही थी तो बुलडोज़र से कुचल कर इज्रयीलियों की सेना ने उसे मार डाला था। रशेल माँ-बाप की इकलौती बच्ची थी।

रशेल अपने पीछे जो ख़त, -मेल, डायरियां और लेख छोड़ गयी थी उनके आधार पर एलन रिक्मेन के निर्देशन में लन्दन के रोंयल कोर्ट थिएटर ने एक एकांकी ' मेरा नाम रशेल कोरी है' तैयार किया। न्यू यार्क में इसके शो से पहले ही इस पर इतना विवाद उठा, इतना हंगामा मचा की इस एकांकी 'मेरा नाम रशेल कोरी है'
पर रोक लगा दी गयी।

इस पर रशेल की माँ ने बड़े आश्चर्य से पूछा था ' रशेल की बातों से लोग इतना डरते क्यों हैं?' किसी अखबार या पत्रिका ने रशेल की माँ के सवाल काजवाब नहीं दिया। तब इस एकांकी के निर्देशक एलन ने कहा था ' रशेल किसी के रहमों-
करम पर नहीं जी। किसी को उससे सहानुभूति हो हो पर उसकी आवाज़ इस धुंद में युद्धनगाड़े की तरह है जिसे सबको सुनना चाहिए

(बेन हीन की कुछेक कलाकृतियाँ )



http://www.flickr.com/photos/benheine/

-देवेन्द्र पाल